दूरी से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग की सुविधा प्रदान करने वाला रोबोट ‘टेलीप्रेजेंस बॉट्स’ और अन्य रोबोट्स का प्रयोग चीन के अस्पतालों में हो रहा है। इन रोबोट्स का प्रयोग मरीजों के सेहत की जांच करने और दवाइयों को पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इनके प्रयोग से कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिल रही है।
शंघाई की एक कंपनी ‘कीनन रोबोटिक्स कंपनी’ ने एक मॉडल के 16 रोबोटों को तैनात किया है। इन रोबोट्स को ‘लिटिल पीनट’ का नाम दिया गया है। इन रोबोट्स को हांग्जू के अस्पताल में तैनात किया गया है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, चीन के ग्वांगझू, जियांगी, चेंग्डू, बीजिंग, शंघाई और तियानजिन के अस्पताल में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इन रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
कोरोनावायरस के तेजी से हो रहे प्रसार ने चीन के अस्पतालों को इन रोबोट्स को सहायकों में बदलने के लिए मजबूर किया है। फिलहाल इन रोबोट्स का प्रयोग कर डॉक्टरों को कोरोनावायरस के मरीजों के संपर्क से बचाने की कवायद जारी है। रोबोट्स के प्रयोग से डॉक्टरों को कम से कम मरीजों के पास जाने की जरूरत पड़ रही है।
रोबोट्स के अलावा कोरोनावायरस से निपटने के लिए चीन में ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन्स का प्रयोग कर जरूरत के सामानों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। इनका प्रयोग कर लोगों को खाने से लेकर दवाओं तक को पहुंचाया जा रहा है।
दुनिया कोरोनावायरस वैक्सीन के एक कदम करीब
पिछले सप्ताह ऑस्टेलिया के डोहर्टी संस्थान के शोधकर्ताओं ने वायरस को मानव शरीर ने अलग करने में सफलता हासिल की थी। राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIRO) में वायरस का विकसित होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अध्ययन के लिए वायरस का पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है।
वायरस के विकास की पुष्टि, करते हुए राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIRO) के खतरनाक रोगजनकों की टीम के प्रमुख प्रोफेसर एसएस वासन ने कहा कि हम डोहर्टी संस्थान का धन्यवाद करते है कि उन्होंने मानव शरीर ने अलग कर वायरस को हमारे साथ सांझा किया। मानव शरीर के मुकाबले, अलग वायरस के साथ काम तेजी से किया जा सकता है। बता दें कि प्रोफेसर एसएस वासन ओसीआई (OCI) नगारिक है। सीएसआईआरओ कोरोनावायरस का वैक्सीन बनाने के लिए काम कर रहा है।